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भगवद गीता प्रथमअध्याय – अर्जुन-विषादयोग | Bhagwad Geeta chapter -1

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संजय विद्वान सूत (बुनकर) गावाल्गण के पुत्र थे एवं ऋषि व्यास के शिष्य थे, वह धृतराष्ट्र के सारथी और सलाहकार भी थे

जब धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में राजा धृतराष्ट्र और पाण्डु पुत्र, में युद्ध मोड पर खड़ा था तब महर्षी व्यास भीष्म और राजा धृतराष्ट्र से मिलने आए थे तब व्यास ने धृतराष्ट्र को कहा द्वार पे खड़े इस युद्ध को भीतर आने की आज्ञा न दीजिए, राजा धृतराष्ट्र खुद भी इस युद्ध को नहीं चाहते थे लेकिन उसके पुत्र भी उसके वश में न थे ,व्यास ने कहा मैं दिव्य दृष्टी तुम्हें दिए देता हूँ की इस सर्वनाश को तुम अपनी आँखों से होता हुए देखो लेकिन मोहवश धृतराष्ट्र भी इस विनाश को स्वयं अपनी आखों से नहीं देखना चाहते थे उन्होंने महर्षी व्यास को दिव्य दृष्टि संजय को देने के लिए अनुरोध किया जिस कारण संजय को दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई

  • दृष्ट्वा(drstva) = देखकर
    तु(tu) = तो/फिर
    पाण्डवानीकम् (pandavanikam) =
    पाण्डवों की सेना
    व्यूढम्(vyudham) = सुसज्जित/युद्ध में व्यवस्थित
    दुर्योधनः(duryodhanaḥ) = दुर्योधन
    तदा(tada) = तब
    आचार्यम्(acharyam) = आचार्य (गुरु द्रोणाचार्य)
    उपसङ्गम्य(upasangamya) = जाकर/समीप जाकर
    राजा(raja)=राजा दुर्योधन
    वचनम्(vachanam) = वचन/बात
    अब्रवीत्(abravit) = कहा

  • पश्य (pasya) = देखिए
  • एताम् (etam) = इसको / इसे
  • पाण्डुपुत्राणाम् (paṇḍu-putranam) = पाण्डुपुत्रों (पाण्डवों) की
  • आचार्य (acharya) = हे आचार्य (गुरु द्रोणाचार्य)
  • महतीम् (mahateem) = विशाल
  • चमूम् (chamum) = सेना
  • व्यूढाम् (vyuḍham) = व्यवस्थित, सजी हुई
  • द्रुपदपुत्रेण (drupada-putreṇa) = द्रुपद के पुत्र (धृष्टद्युम्न) द्वारा
  • तव (tava) = आपके
  • शिष्येण (sisyena) = शिष्य के द्वारा
  • धीमता (dhimata) = बुद्धिमान

  • अत्र (atra) = यहाँ (इस सेना में)
  • शूराः (surah) = पराक्रमी योद्धा
  • महेष्वासा (maheṣvasah) = महान धनुर्धारी
  • भीमार्जुनसमा (bhima-arjun-samaḥ) = युद्ध में भीम और अर्जुन के समान
  • युधि (yudhi) = युद्ध में
  • युयुधानो (yuyudhanoh) = युयुधान (सत्यकि)
  • विराटश्च (viratascha) = और विराट
  • द्रुपदश्च (drupadaḥ ca) = और द्रुपद
  • महारथः (maharataḥa) = महान रथी (महायोद्धा)

  • धृष्टकेतु (dhrstaketu) = धृष्टकेतु
  • च (cha) = और
  • चेकितानः (chekitanah) = चेकितान
  • काशिराजश (kashirajasḥ) = काशी का राजा
  • च (ca) = और
  • वीर्यवान् (viryavaan) = पराक्रमी
  • पुरुजित् (purujit) = पुरुजित
  • कुन्तिभोजश (kuntibhojash) = कुन्तिभोज
  • च (cha) = और
  • शैब्यश (saibyash) = शैब्य
  • च (cha) = और
  • नरपुङ्गवः (nara-pungavah) = श्रेष्ठ पुरुष, उत्तम योद्धा

  • युधामन्युश (yudhamanyusḥ) = युधामन्यु
  • च (cha) = और
  • विक्रान्त (vikrant) = पराक्रमी
  • उत्तमौजाश (uttamaujash) = उत्तमौजा
  • च (cha) = और
  • वीर्यवान् (viryavaan) = पराक्रमी
  • सौभद्रो (saubhadroh) = सुभद्रा का पुत्र (अभिमन्यु)
  • द्रौपदेयाश (draupadeyash) = द्रौपदी के पुत्र
  • च (ca) = और
  • सर्वे एव (sarve eva) = सभी
  • महारथाः (maharathah) = महान योद्धा

  • अस्माकम् (asmakam) = हमारे
  • तु (tu) = तो / अब
  • विशिष्टा (visista) = प्रमुख / विशेष
  • ये (ye) = जो
  • तान् (tan) = उन्हें
  • निबोध (nibodha) = जान लीजिए
  • द्विजोत्तम (dvijottama) = हे श्रेष्ठ द्विज (हे ब्राह्मणश्रेष्ठ द्रोणाचार्य)
  • नायका (nayaka) = सेनापति / मुख्य वीर
  • मम (mama) = मेरे
  • सैन्यस्य (sainyasya) = सेना के
  • संज्ञार्थ (sangyarth) = जानकारी के लिए
  • तान् ब्रवीमि ते (tan bravimi te) = मैं आपको बताता हूँ

  • भवान् (bhavan) = आप स्वयं (गुरु द्रोणाचार्य)
  • भीष्मः च (bhishma cha) = और भीष्म पितामह
  • कर्णः च (karna cha) = और कर्ण
  • कृपः च (krpah cha) = और कृपाचार्य
  • समिति-ज्ययः (samitin-jayah) = युद्ध में विजयी
  • अश्वत्थामा (asvatthama) = अश्वत्थामा (द्रोणाचार्य का पुत्र)
  • विकर्णः च (vikarnah cha) = और विकर्ण
  • सौमदत्तिः (saumadattiḥ) = सोमदत्त का पुत्र (भूरिश्रवा)
  • तथा एव च (tatha eva cha) = और भी

  • अन्ये च (anye cha) = और भी
  • बहवः (bahavah) = अनेक
  • शूराः (surah) = पराक्रमी
  • मदर्थे (mad-arthe) = मेरे लिए
  • त्यक्त-जीविताः (tyakta-jivitah) = प्राणों की आहुति देने को तैयार
  • नाना-शस्त्र-प्रहरणाः (nana-shastra-praharanah) = भिन्न-भिन्न शस्त्रों से सुसज्जित
  • सर्वे (sarve) = सभी
  • युद्ध-विशारदाः (yuddha-visharadaḥ) = युद्ध-कला में निपुण

  • अपर्याप्तं (aparyaptam) = अपर्याप्त / कम
  • तद् अस्माकम् (tad asmakam) = वह हमारी
  • बलम् (balam) = शक्ति / सेना
  • भीष्माभिरक्षितम् (bhismabhirakshitam) = भीष्म द्वारा संरक्षित
  • पर्याप्तं (paryaptam) = पर्याप्त
  • त्वम् (tvam) = वह
  • इदमेतेषां (idmetesham) = इन सबकी
  • बलम् (balam) = सेना
  • भीष्माभिरक्षितम् (bhismabhirakshitam) = भीष्म द्वारा संरक्षित

  • अयनेषु च (ayaneshu cha) = सभी सेनापथों में / युद्ध की पंक्तियों में
  • सर्वेषु (sarveṣu) = सभी में
  • यथा-भागम् (yatha-bhagam) = अपने-अपने हिस्से के अनुसार
  • अवस्थिताः (avasthitaḥ) = स्थित / खड़े
  • भीष्म एव (bhiṣma eva) = केवल भीष्म
  • अभिरक्षन्तु (abhirakṣhantu) = उनकी रक्षा करें
  • भवन्तः (bhavantaḥ) = आप लोग
  • सर्वे एव हि (sarve eva hi) = सभी वास्तव में

  • तस्य (tasya) = उसके (दुर्योधन की सेना के उद्दीपन के समय)
  • सञ्जनयन् (sanjanayan) = उत्पन्न कर रहे / जगाया
  • हर्षम् (harsham) = उत्साह / आनंद / उमंग
  • कुरु-वृद्धः (kuru-vrddhah) = कुरु वंश का वृद्ध, यानी भीष्म पितामह
  • पितामहः (pitamaha) = पितामह (भीष्म)
  • सिंहनादम् (siṃhanadam) = सिंह की तरह गरजने की आवाज़
  • विनद्योच्चैः (vinadyocchaiḥ) = जोर से बजाए
  • शङ्खम् (sankham) = शंख
  • दध्मौ (dadhmau) = बजाया
  • प्रतापवान् (pratapavan) = वीर, प्रभावशाली, उत्साहपूर्ण

  • ततः (tatah) = फिर
  • संखाश्चा (sankhascha) = शंख
  • भेर्यश्चा (bheryeshcha) = युद्ध के ढोल
  • अणव-कगोमुखाः (anava-kagomukhaḥ) = विशेष प्रकार के शस्त्र-ध्वनि उपकरण
  • सहसैव (sahasai eva) = एक साथ / अचानक
  • अभ्यहन्यन्त (abhyahanyanta) = बजाए गए / फूँके गए
  • सः (saḥ) = वह
  • शब्दः (sabdaḥ) = ध्वनि / आवाज़
  • तुमुलः (tumuloh) = गड़गड़ाती / प्रचंड
  • अभवत् (abhavat) = हो गई / उत्पन्न हुई

  • ततः (tataḥ) = उसके बाद
  • श्वेतैः (svetaiḥ) = सफेद
  • हयैः युक्ते (hayaiḥ yukte) = घोड़ों से युक्त, घोड़ों द्वारा खींचे हुए रथ में
  • महति स्यन्दने (mahati syandane) = बड़े रथ पर / भव्य रथ में
  • स्थितौ (sthitau) = स्थित थे / खड़े थे
  • माधवः (Madhavah) = कृष्ण
  • पाण्डवः (pandavah) = पाण्डव अर्जुन
  • च (cha) = और
  • एव (eva) = निश्चित रूप से
  • दिव्यौ शङ्खौ (divyau sankhau) = दिव्य, अद्भुत शंख
  • प्रदध्मतुः (pradadhmatuḥ) = बजाए गए / फूँके गए

  • पाञ्चजन्यं (Pancajanyam) = पाञ्चजन्य नामक शंख (भगवान श्रीकृष्ण का शंख)
  • हृषीकेशः (Hrsikesah) = इन्द्रियों के स्वामी (श्रीकृष्ण)
  • देवदत्तं (Devadattam) = देवदत्त नाम का शंख (अर्जुन का शंख)
  • धनञ्जयः (Dhananjayah) = धन जीतने वाले (अर्जुन)
  • पौण्ड्रं (Paundram) = पौण्ड्र नामक शंख
  • दध्मौ (Dadhmau) = बजाया
  • महाशङ्खं (Mahasankham) = विशाल शंख
  • भीमकर्मा (Bhimakarma) = भयानक कार्य करने वाला
  • वृकोदरः (Vrkodarah) = वृक उदर (भेड़िये के पेट जैसा), भीम का एक नाम

  • अनन्तविजयम् (Anantavijayam) = अनन्तविजय नाम का शंख
  • सुघोष-मनिपुष्पकौ (Sughoṣa-Maṇipuṣpakau) = सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख

  • काश्यः (Kasya) = काशी का राजा
  • च (cha) = और
  • परम-इष्वासः (param-esvasah) = महान धनुर्धर
  • शिखण्डी (shikhandi) = शिखण्डी
  • महारथः (maharathah) = महान रथी / पराक्रमी योद्धा
  • धृष्टद्युम्नः (Dhrstadyumnah) = धृष्टद्युम्न (द्रुपद का पुत्र)
  • विराटः (Viratah) = विराट (मत्स्य देश का राजा)
  • सात्यकिः (Satyakih) = सात्यकि (यादव वंश का वीर, श्रीकृष्ण का शिष्य)
  • अपराजितः (aparajitah) = जिसे कोई हरा न सके / अजित शंख

  • द्रुपदः (Drupadaḥ) = द्रुपद (पाँचाल देश के राजा, द्रौपदी के पिता)
  • द्रौपदेयाः (Draupadeyaḥ) = द्रौपदी के पुत्र (पाँचों पाण्डव-पुत्र)
  • सर्वशः (Sarvasah) = सब ओर से / सभी ने
  • पृथिवी-पते (Prthivi-pate) = हे पृथ्वीपति (धृतराष्ट्र को संबोधन)
  • सौभद्रः (Saubhadraḥ) = सुभद्रा का पुत्र (अभिमन्यु)
  • महाबाहुः (Mahabahu) = महाबाहु / बलवान बाहु वाला
  • शङ्खान् दध्मुः (sankhan dadhmuḥ) = शंख बजाए
  • पृथक् पृथक् (Pṛthak-pṛthak) = अलग-अलग, भिन्न-भिन्न

  • स घोष (sa ghoṣa) = शंखों की गूंज
  • धार्तराष्ट्राणाम् (dhartarastranam) = धृतराष्ट्र के पुत्रों की
  • हृदयानि (hrdayani) = हृदयों को
  • व्यदारयत् (vyadarayat) = कंपा दिया / विदीर्ण कर दिया
  • नभः (nabhah) = आकाश
  • पृथिवीम् (prthivim) = पृथ्वी को
  • चैव (chav) = तथा
  • तुमुलः (tumula) = प्रचंड / गड़गड़ाहट भरी
  • अभ्यनुनादयन् (abhy-anunadayan) = गूंज उठा / प्रतिध्वनित हुआ

  • अथ (atha) = तब / इसके बाद
  • व्यवस्थितान् (vyavasthitan) = व्यवस्थित खड़े हुए / युद्ध के लिए तैयार
  • दृष्ट्वा (drstva) = देखकर
  • धार्तराष्ट्रान् (dhartarastran) = धृतराष्ट्र के पुत्रों को
  • कपिध्वजः (kapidhvajah) = कपि (हनुमान) के ध्वज वाला अर्जुन
  • प्रवृत्ते (pravrtte) = आरम्भ होने पर
  • शस्त्र-सम्पाते (sastra-sampate) = शस्त्रों की भिड़न्त / युद्ध के प्रारम्भ
  • धनुः उद्यम्य (dhanuh udyamya) = धनुष उठाकर
  • पाण्डवः (pandavah) = अर्जुन
  • हृषीकेशम् (hrsīkesam) = भगवान श्रीकृष्ण (इन्द्रियों के स्वामी)
  • तदा (tada) = तब
  • वाक्यम् (vakyam) = वचन / बात
  • इदम् आह (idam aha) = यह कहा
  • महीपते (mahipate) = हे पृथ्वीपति (धृतराष्ट्र को संबोधित)

  • सेनयोः उभयोः मध्ये = दोनों सेनाओं के बीच
  • रथं स्थापय = मेरा रथ स्थापित कीजिए
  • मे = मेरे लिए
  • अच्युत = (कृष्ण)
  • यावत् = जब तक
  • एतान् = इन लोगों को
  • निरीक्षे अहं = मैं देख लूँ
  • योद्धुकामान् = युद्ध करने की इच्छा वाले
  • अवस्थितान् = स्थित (खड़े हुए)
  • कैः मया सह योद्धव्यम् = किनके साथ मुझे युद्ध करना है
  • अस्मिन् रण-समुद्यमे = इस युद्ध में, जो आरंभ हुआ है

  • योत्स्यमानान् = जो युद्ध करने वाले हैं
  • अवेक्षे अहम् = मैं देखना चाहता हूँ
  • यः एते अत्र समागताः = जो यहाँ एकत्र हुए हैं
  • धार्तराष्ट्रस्य = धृतराष्ट्र के पुत्र के
  • दुर्बुद्धेः = दुष्ट बुद्धि वाले
  • युद्धे प्रियचिकीर्षवः = युद्ध में जिन्हें प्रसन्न करने की इच्छा रखते हैं

  • एवम् उक्तः = इस प्रकार कहे जाने पर
  • हृषीकेशः = भगवान श्रीकृष्ण (जो इंद्रियों के स्वामी हैं)
  • गुडाकेशेन = अर्जुन द्वारा (जो नींद पर विजय प्राप्त करने वाले हैं)
  • भारत = हे भारत (धृतराष्ट्र) !
  • सेनयोः उभयोः मध्ये = दोनों सेनाओं के बीच में
  • स्थापयित्वा = स्थापित करके
  • रथोत्तमम् = श्रेष्ठ रथ (अर्जुन का रथ)

  • भीष्म-द्रोण-प्रमुखतः = भीष्म और द्रोणाचार्य को आगे रखकर
  • सर्वेषाम् च महीक्षिताम् = और अन्य सब राजाओं (पृथ्वी के स्वामियों) के सामने
  • उवाच = कहा
  • पार्थ = हे पार्थ (अर्जुन)!
  • पश्य = देखो
  • एतान् = इनको
  • समवेतान् = एकत्र हुए
  • कुरून् इति = इन कौरवों को

  • तत्र, अपश्यत्, स्थितान्= वहाँ, देखा, खड़े हुए
  • पार्थः,पितॄन् = अर्जुन, अपने पिता समान बड़ों को
  • अथ, तथा = और, और भी
  • पितामहान्, आचार्यान् = पितामहों को (जैसे भीष्म), गुरुओं को (जैसे द्रोणाचार्य)
  • मातुलान्, भ्रातृन्, पुत्रान्, पौत्रान्, सखीन् = मामा लोगों को, भाइयों को, पुत्रों को, पौत्रों को, मित्रों को
  • श्वशुरान्, सुहृदः च एव = ससुरों को, और शुभचिंतकों को भी
  • सेनयोः उभयोः अपि = दोनों ही सेनाओं में

  • तान् = उन (समस्त योद्धाओं को)
  • समीक्ष्य = विचारपूर्वक देख कर
  • सः कौन्तेयः = कुन्तीपुत्र (अर्जुन)
  • सर्वान् बन्धून् = अपने सब संबंधियों को
  • अवस्थितान् = युद्ध के लिए खड़े हुए
  • कृपया परया आविष्टः = अत्यंत दया से व्याप्त होकर
  • विषीदन् = शोक से व्याकुल होकर
  • इदम् अब्रवीत् = यह कहा

  • दृष्ट्वा = देखकर
  • इमम् = इस
  • स्वजनम् = अपने ही लोगों (स्वजनों) को
  • कृष्ण = हे कृष्ण!
  • युयुत्सुम् = युद्ध की इच्छा रखने वाले
  • समुपस्थितम् = सामने खड़े हुए
  • सीदन्ति = ढीले पड़ रहे हैं, शिथिल हो रहे हैं
  • मम = मेरे
  • गात्राणि = अंग (शरीर के अवयव)
  • मुखम् च = और मुख भी
  • परिशुष्यति = सूख रहा है

  • वेपथुः च — और कम्पन (काँपना) भी
  • शरीरे मे — मेरे शरीर में
  • रोम-हर्षः च जायते — रोमांच (रोम खड़े हो जाना) हो रहा है
  • गाण्डीवम् — अर्जुन का प्रसिद्ध धनुष (गाण्डीव)
  • स्रंसते हस्तात् — हाथ से फिसल रहा है
  • त्वक् च एव परिदह्यते — और त्वचा जलने सी प्रतीत हो रही है

  • न च शकॊमि = और मैं समर्थ नहीं हूँ
  • अवस्थातुम् = स्थिर खड़े रहने में
  • भ्रमति इव = मानो चक्कर खा रहा हो
  • च मे मनः = मेरा मन भी
  • निमित्तानि च पश्यामि = और मैं देख रहा हूँ अनेक संकेत
  • विपरीतानि = अशुभ, विपरीत
  • केशव = कृष्ण

  • न च = और नहीं ही
  • श्रेयः अनुपश्यामि = कोई कल्याण (भला परिणाम) देखता हूँ
  • हत्वा = मारकर
  • स्वजनम् = अपने ही स्वजनों को
  • आहवे = युद्ध में
  • न काङ्क्षे = इच्छा नहीं है
  • विजयम् = विजय की
  • न च राज्यं = न राज्य की
  • सुखानि च = और न सुखों की

  • किम् नः राज्येन = हमें राज्य से क्या लाभ?
  • गोविन्द = हे गोविन्द (कृष्ण)
  • किम् भोगैः जीवितेन वा = भोगों या जीवन से ही क्या प्रयोजन है?
  • येषाम् अर्थे = जिनके लिए
  • काङ्क्षितम् नः = हमने चाहा था
  • राज्यम्, भोगाः, सुखानि च = राज्य, भोग और सुख

  • ते इमे = वे ये सभी
  • अवस्थिताः युद्धे = के लिए तैयार हैं
  • प्राणान् त्यक्त्वा = अपने प्राणों को त्यागने को तैयार
  • धनानि च = और धन को भी
  • आचार्याः = गुरुजन
  • पितरः = पिता समान जन
  • पुत्राः = पुत्र
  • तथैव च = और इसी प्रकार
  • पितामहाः = जैसे भीष्म

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